अगर आप Class 12 History Notes chapter 8 की तलाश कर रहे हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए पूरी तरह उपयोगी साबित होगी। इस अध्याय – “किसान, ज़मींदार और मुग़ल प्रशासन” में हम जानेंगे कि किस प्रकार मुग़ल काल में कृषि व्यवस्था, किसानों की स्थिति, ज़मींदारों की भूमिका और प्रशासनिक ढाँचा एक-दूसरे से जुड़ा हुआ था।
Textbook | Bihar Board / NCERT |
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Class | Class 12 |
Subject | HISTORY |
Chapter | Chapter – 8 |
Chapter Name | किसान, ज़मींदार और मुग़ल प्रशासन |
Category | Class 12 History Notes chapter 8 |
Medium | Hindi |
प्रस्तावना-Class 12 History Notes chapter 8
मुग़ल साम्राज्य के शासनकाल में भारत की अर्थव्यवस्था और समाज का आधार था – कृषि।
इस व्यवस्था में तीन प्रमुख वर्ग थे:
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किसान (रैयत) – जो भूमि जोतते थे
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ज़मींदार – जो भूमि के मालिक या कर वसूलने वाले अधिकारी होते थे
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मुग़ल प्रशासन – जो पूरे राज्य में राजस्व व प्रशासन को नियंत्रित करता था
इन तीनों के संबंध और भूमिका से ही मुग़ल साम्राज्य की सत्ता और अर्थव्यवस्था मजबूत होती थी।
1. कृषि समाज की संरचना
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भारत की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती थी और उनकी आजीविका का मुख्य साधन कृषि था।
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भूमि की उर्वरता और सिंचाई की उपलब्धता पर खेती निर्भर करती थी।
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फसलें – गेंहू, चावल, जौ, बाजरा, कपास, गन्ना आदि प्रमुख थीं।
सिंचाई के स्रोत:
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कुएँ, तालाब, नहरें और बरसात पर निर्भरता।
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राजाओं व ज़मींदारों ने कई जगह सिंचाई के लिए जल-संरचनाएँ बनवाईं।
2. किसान (रैयत) कौन थे?
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किसान को उस समय “रैयत” कहा जाता था।
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वे अधिकतर भूमि जोतते थे, लेकिन उनके पास ज़मीन का स्वामित्व नहीं होता था।
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किसानों को सरकार या ज़मींदार को कर देना पड़ता था, जिसे ‘लगान’ कहा जाता था।
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यह लगान कभी नकद और कभी अनाज के रूप में होता था।
💡 समस्या क्या थी?
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किसानों पर कर का बोझ बहुत ज़्यादा होता था।
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अकाल या प्राकृतिक आपदाओं में भी कर माफ़ नहीं किया जाता था, जिससे किसान कर्ज़ में डूब जाते थे।
3. ज़मींदार कौन थे और उनका क्या काम था?
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ज़मींदार वे लोग थे जिनके पास भूमि के स्वामित्व के अधिकार होते थे या जिन्हें सरकार की ओर से कर वसूलने का अधिकार मिला होता था।
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वे किसानों से कर वसूलकर राज्य को देते थे।
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बदले में उन्हें कुछ हिस्सा अपने पास रखने की छूट होती थी।
ज़मींदारों की ताकत:
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कई ज़मींदार बहुत शक्तिशाली हो गए थे।
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उनके पास निजी सेना और किले भी होते थे।
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वे सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में भी प्रमुख भूमिका निभाते थे।
लेकिन…
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कई बार ज़मींदार अत्याचारी हो जाते थे और किसानों से जबरन कर वसूलते थे।
4. मुग़ल प्रशासन और राजस्व व्यवस्था
मुग़ल काल में राजस्व यानी कर प्रणाली को व्यवस्थित रूप देने का सबसे बड़ा कार्य अकबर के समय हुआ।
🔸 टोडरमल की भूमिका:
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अकबर के वित्तमंत्री राजा टोडरमल ने राजस्व सुधार किए।
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उन्होंने भूमि मापन, फसल अनुमान और कर निर्धारण की स्पष्ट प्रणाली बनाई।
किसान, ज़मींदार और मुग़ल प्रशासन- Class 12 History Notes chapter 8
🔸 प्रमुख कर प्रणाली:
प्रणाली | विशेषताएँ |
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ज़ब्ती | भूमि की माप और औसत फसल के हिसाब से कर तय होता था। |
दहसाला | 10 वर्षों की औसत उपज के आधार पर कर तय किया जाता था। |
गल्ला-बख्शी | उपज के हिस्से के रूप में कर लिया जाता था (अन्न में)। |
👨⚖️ प्रमुख अधिकारी:
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अमीन – भूमि मापने वाला
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करोरी – कर वसूलने वाला
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फौजदार – क्षेत्रीय सुरक्षा और प्रशासन अधिकारी
5. दस्तावेज़ी प्रमाण – ‘आइन-ए-अकबरी’
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अबुल फज़ल द्वारा लिखा गया
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इसमें अकबर के शासनकाल का विस्तार से वर्णन है
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गाँवों की संख्या, ज़मींदारों की सूची, भूमि की उर्वरता, फसलों, कर की दरें आदि का विवरण है
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यह हमें उस समय के समाज और प्रशासन की सटीक जानकारी देता है
6. किसानों की वास्तविक स्थिति
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खेती किसानों की मेहनत पर चलती थी, लेकिन उन्हें पर्याप्त लाभ नहीं मिलता था।
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वे प्राकृतिक आपदाओं (सूखा, बाढ़), बीमारी, अत्यधिक कर आदि से पीड़ित रहते थे।
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इसके बावजूद, मुग़ल काल की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ किसान ही थे।
7. ज़मींदारी और शासन के संबंध
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मुग़ल शासन ज़मींदारों को राजस्व वसूली में भागीदार बनाता था।
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अगर ज़मींदार वफादार होते, तो उन्हें अधिक अधिकार मिलते थे।
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लेकिन कई बार ज़मींदार बाग़ी भी हो जाते थे, जिससे स्थानीय विद्रोह होते थे।
किसान, ज़मींदार और मुग़ल प्रशासन- Class 12 History Notes chapter 8
Mind Map – Class 12 History Notes chapter 8
1. कृषि समाज
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गाँव आधारित जीवन
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मानसून पर निर्भर खेती
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सिंचाई: कुएँ, नहरें, तालाब
2. किसान (रैयत)
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भूमि जोतते थे
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अधिकतर भूमिहीन
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कर (लगान) चुकाते थे
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प्राकृतिक आपदा से प्रभावित
3. ज़मींदार
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कर संग्रहकर्ता
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स्थानीय प्रभुत्व
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कभी-कभी शक्तिशाली और विद्रोही
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सामाजिक भूमिका भी
4. राजस्व प्रणाली
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टोडरमल के सुधार
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ज़ब्ती और दहसाला प्रणाली
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अधिकारी: अमीन, करोरी, फौजदार
5. स्रोत: आइन-ए-अकबरी
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अबुल फज़ल द्वारा रचना
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सामाजिक-आर्थिक विवरण
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कर व्यवस्था का रिकॉर्ड
निष्कर्ष
मुग़ल काल में किसान, ज़मींदार और प्रशासन तीनों एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।
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किसान – मेहनत करता था
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ज़मींदार – कर वसूलता था
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शासन – व्यवस्था को नियंत्रित करता था
यह तंत्र मजबूत था, लेकिन किसानों की हालत अक्सर खराब रहती थी।
फिर भी, इस व्यवस्था ने मुग़ल साम्राज्य को आर्थिक रूप से शक्तिशाली और स्थिर बनाए रखा।
Objective Questions – Class 12 History Notes chapter 8
1. मुगल काल में ‘खेतिहर किसान’ को क्या कहा जाता था?
A) जाट
B) रैयत
C) मुखिया
D) मालगुजार
✅ उत्तर: B) रैयत
2. अकबर के समय ज़मीन की पैदावार के अनुसार कर निर्धारण प्रणाली को क्या कहा जाता था?
A) ज़ब्ती प्रणाली
B) नसक प्रणाली
C) इजारादारी प्रणाली
D) मनसबदारी प्रणाली
✅ उत्तर: A) ज़ब्ती प्रणाली
3. किस मुगल सम्राट के समय ‘अइन-ए-अकबरी’ की रचना हुई थी?
A) बाबर
B) जहांगीर
C) अकबर
D) शाहजहाँ
✅ उत्तर: C) अकबर
4. ‘अइन-ए-अकबरी’ के लेखक कौन थे?
A) अबुल फज़ल
B) बदायूंनी
C) फिरिश्ता
D) अलबरूनी
✅ उत्तर: A) अबुल फज़ल
5. अकबर के शासनकाल में भूमि की माप के लिए किस यंत्र का प्रयोग किया गया?
A) बटाई
B) जरिब
C) नक्शा
D) पट्टा
✅ उत्तर: B) जरिब
6. ‘ज़मीनदारी व्यवस्था’ में ज़मींदार की भूमिका क्या थी?
A) सैनिक
B) कर संग्राहक
C) व्यापारी
D) मंत्री
✅ उत्तर: B) कर संग्राहक
7. ‘खुद-कश्त’ भूमि का अर्थ क्या है?
A) वह भूमि जो बंजर हो
B) वह भूमि जिस पर किरायेदार खेती करें
C) वह भूमि जिस पर किसान स्वयं खेती करें
D) वह भूमि जो मंदिर को दी गई हो
✅ उत्तर: C) वह भूमि जिस पर किसान स्वयं खेती करें
8. मुगल काल में कृषक की सबसे बड़ी पहचान क्या थी?
A) पशुपालन
B) खेती करना
C) कर देना
D) ज़मींदारी करना
✅ उत्तर: B) खेती करना
9. बटाई प्रणाली में कर किस रूप में लिया जाता था?
A) नकद
B) अनाज का निश्चित भाग
C) पशु
D) श्रम
✅ उत्तर: B) अनाज का निश्चित भाग
10. रैयतों की मुख्य श्रेणियाँ थीं –
A) दो
B) चार
C) तीन
D) पाँच
✅ उत्तर: C) तीन
(खुद-कश्त, पही-कश्त, मुज़ारई)
11. ‘पट्टा’ और ‘कबूलियत’ किससे संबंधित हैं?
A) व्यापार
B) फौज
C) भूमि कर
D) विवाह
✅ उत्तर: C) भूमि कर
12. मुगल प्रशासन में ‘शिकनदार’ कौन था?
A) सेनापति
B) राजस्व अधिकारी
C) सूबेदार
D) दीवान
✅ उत्तर: B) राजस्व अधिकारी
13. ‘ज़ब्ती प्रणाली’ किसने लागू की थी?
A) बाबर
B) अकबर
C) औरंगज़ेब
D) शाहजहाँ
✅ उत्तर: B) अकबर
14. मुगल शासन में ज़मींदारों को कभी-कभी क्या कहा जाता था?
A) जागीरदार
B) मुखिया
C) देशमुख, पटील
D) कर अधिकारी
✅ उत्तर: C) देशमुख, पटील
15. ‘अइन-ए-अकबरी’ किस ग्रंथ का हिस्सा है?
A) तुजुक-ए-बाबरी
B) अकबरनामा
C) शाहनामा
D) फिरिश्ता
✅ उत्तर: B) अकबरनामा
16. मुग़ल काल में किसानों की स्थिति का प्रमुख स्रोत क्या है?
A) राजतरंगिणी
B) अकबरनामा
C) अइन-ए-अकबरी
D) तुजुक-ए-जहांगीरी
✅ उत्तर: C) अइन-ए-अकबरी
17. मुगल प्रशासन में ‘जागीर’ का क्या अर्थ था?
A) युद्ध की भूमि
B) कर की छूट
C) सेवा के बदले दी गई भूमि
D) धार्मिक संस्था
✅ उत्तर: C) सेवा के बदले दी गई भूमि
18. मुगल काल में कौन प्रणाली सबसे प्रसिद्ध भूमि कर प्रणाली थी?
A) बटाई
B) नसक
C) ज़ब्ती
D) गल्ला बख्शी
✅ उत्तर: C) ज़ब्ती
19. कर वसूलने के लिए दीवान की मदद कौन करता था?
A) काज़ी
B) आमिल
C) सिपाही
D) मीरबख्शी
✅ उत्तर: B) आमिल
20. किस प्रकार की भूमि को बंजर कहा जाता था?
A) जिस पर कोई उपज न हो
B) जिस पर केवल मंदिर हों
C) जो सैनिकों को दी गई हो
D) जो नदी के पास हो
✅ उत्तर: A) जिस पर कोई उपज न हो
Short Answer Questions – Class 12 History Notes chapter 8
1. ‘रैयत’ किसे कहा जाता था?
उत्तर:
मुगल काल में ‘रैयत’ शब्द का उपयोग सामान्य किसानों के लिए किया जाता था जो ज़मीन पर खेती करते थे और राज्य को कर (लगान) देते थे। ये किसान स्वतंत्र होते थे लेकिन ज़मींदार के अधीन रहते थे।
2. ‘अइन-ए-अकबरी’ क्या है और इसके लेखक कौन थे?
उत्तर:
‘अइन-ए-अकबरी’ अकबर के शासनकाल की प्रशासनिक व्यवस्था का दस्तावेज है। इसे अबुल फज़ल ने लिखा था। इसमें कृषि, कर प्रणाली, सेना, संस्कृति आदि की विस्तृत जानकारी मिलती है।
3. ‘खुद-कश्त’ भूमि क्या होती थी?
उत्तर:
‘खुद-कश्त’ वह भूमि होती थी जिस पर किसान स्वयं खेती करता था। यह भूमि किसान के अपने उपयोग में रहती थी और इससे उसकी पहचान भी जुड़ी होती थी।
4. ज़मींदार की भूमिका क्या थी?
उत्तर:
ज़मींदार कर वसूली करने वाला अधिकारी होता था। वह किसानों से कर वसूलकर राज्य को देता था। साथ ही वह सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी प्रभावशाली होता था।
5. ‘ज़ब्ती प्रणाली’ क्या थी?
उत्तर:
‘ज़ब्ती प्रणाली’ अकबर द्वारा लागू की गई एक भूमि राजस्व प्रणाली थी। इसमें भूमि की माप कर उसके औसत उत्पादन के आधार पर वार्षिक कर निर्धारित किया जाता था, जिसे नकद में वसूला जाता था।
Long Answer Questions – Class 12 History Notes chapter 8
1. मुगल काल में कृषक वर्ग की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुगल काल में कृषक वर्ग समाज की रीढ़ था। उन्हें “रैयत” या “मुजारा” कहा जाता था। अधिकांश किसान छोटे खेतिहर थे, जो अपनी मेहनत से खेती करते थे। वे “खुद-कश्त” (स्वयं खेती करने वाले) या “पही-कश्त” (दूसरे की ज़मीन पर खेती करने वाले) हो सकते थे।
किसानों की स्थिति कठिन थी, क्योंकि उन्हें भूमि कर के रूप में एक बड़ी राशि देनी पड़ती थी। प्राकृतिक आपदाओं, सूखा, बाढ़ आदि से उनकी आय अस्थिर थी। उन्हें कर वसूली में ज़मींदारों की कठोरता का भी सामना करना पड़ता था।
फिर भी, किसान समाज और अर्थव्यवस्था के मूल स्तंभ थे, क्योंकि उनके उत्पादन पर ही राज्य की समृद्धि निर्भर थी।
2. ज़मींदारों की भूमिका मुगल प्रशासन में क्या थी?
उत्तर:
ज़मींदार मुगल प्रशासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। वे न केवल कर संग्रहकर्ता थे, बल्कि स्थानीय स्तर पर प्रशासन, कानून-व्यवस्था और सामाजिक नियंत्रण के लिए भी उत्तरदायी होते थे।
ज़मींदार आमतौर पर स्थानीय प्रभावशाली लोग होते थे, जिनकी अपनी सेनाएँ और अनुयायी होते थे। वे किसानों से कर वसूलते थे और एक भाग मुगल खज़ाने में जमा करते थे।
कई ज़मींदार वंशानुगत पद पर होते थे और उनका अपने क्षेत्र पर पारंपरिक अधिकार होता था। कुछ ज़मींदार बाग़ियों या विद्रोहियों के रूप में भी उभरते थे, जिससे मुगलों को उन्हें नियंत्रित रखने के लिए विशेष नीतियाँ बनानी पड़ीं।
अतः ज़मींदार मुगल प्रशासन का एक आवश्यक लेकिन कभी-कभी चुनौतीपूर्ण भाग थे।
3. अकबर की राजस्व प्रणाली की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अकबर ने अपने राजस्व मंत्री टोडरमल की सहायता से एक सुव्यवस्थित भूमि राजस्व प्रणाली विकसित की, जिसे ज़ब्ती प्रणाली कहा जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं:
- भू-मापन (Measurement of Land): भूमि को मापा जाता था और उपज का औसत निर्धारित किया जाता था।
- औसत उपज एवं मूल्य: पिछले 10 वर्षों की औसत उपज और अनाज के दाम के आधार पर कर निर्धारण होता था।
- नकद कर: कर को नकद (रुपये) में वसूल किया जाता था, जिससे राज्य को निश्चित आय मिलती थी।
- पट्टा और कबूलियत: किसान को भूमि के बारे में एक पट्टा दिया जाता था और वह कबूलियत पर हस्ताक्षर कर कर देने की स्वीकृति देता था।
- जरिब प्रणाली: भूमि की माप के लिए “जरिब” (मापने की रस्सी) का प्रयोग होता था।
यह प्रणाली किसानों के लिए सुसंगत और राज्य के लिए लाभकारी थी, लेकिन इसमें स्थानीय अधिकारियों की ईमानदारी बहुत महत्वपूर्ण थी।
4. ‘अइन-ए-अकबरी’ के आधार पर मुगलकालीन कृषि व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
‘अइन-ए-अकबरी’, अबुल फज़ल द्वारा लिखित एक ग्रंथ है जो अकबर की शासन प्रणाली का दस्तावेज है। इसके तीसरे भाग में कृषि और राजस्व व्यवस्था की विस्तृत जानकारी मिलती है।
- इसमें बताया गया है कि मुगल राज्य में भूमि को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया गया था: खुद-कश्त, पही-कश्त, बंजर आदि।
- विभिन्न फसलों जैसे गेहूं, चावल, बाजरा, गन्ना, कपास आदि की उपज का विस्तृत वर्णन है।
- इसमें कर प्रणाली, कर की दर, भूमि मापन, बीज की मात्रा आदि का भी विवरण मिलता है।
- साथ ही यह भी बताया गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में भूमि की उपज और कर निर्धारण में कैसे भिन्नता थी।
‘अइन-ए-अकबरी’ के माध्यम से हमें उस समय के किसानों की जीवनशैली, कृषि तकनीक और प्रशासनिक नियंत्रण की अच्छी समझ मिलती है।
5. मुगलकालीन भूमि कर वसूली की विभिन्न प्रणालियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुगल काल में भूमि कर वसूली की विभिन्न प्रणालियाँ प्रचलित थीं, जो क्षेत्र और परिस्थितियों के अनुसार भिन्न थीं:
- ज़ब्ती प्रणाली:
- यह अकबर के समय लागू हुई।
- भूमि की माप कर औसत उपज के आधार पर नकद कर लिया जाता था।
- बटाई प्रणाली:
- इसमें उपज का एक निश्चित भाग (आमतौर पर 1/3) राज्य को दिया जाता था।
- यह प्रणाली छोटे किसानों के लिए सुविधाजनक थी।
- नकद प्रणाली (Cash System):
- कर नकद रूप में वसूला जाता था।
- इससे राज्य को स्थिर आय मिलती थी, पर किसानों पर दबाव बढ़ जाता था।
- इजारादारी प्रणाली:
- कर वसूली का ठेका निजी व्यक्तियों को दे दिया जाता था।
- ठेकेदार राज्य को निश्चित राशि देते थे और खुद वसूली करते थे।
इन प्रणालियों में सबसे संगठित और व्यवस्थित प्रणाली ज़ब्ती प्रणाली मानी जाती थी। अन्य प्रणालियाँ लचीलापन प्रदान करती थीं पर भ्रष्टाचार की संभावना अधिक थी।
निष्कर्ष – Class 12 History Notes chapter 8
मुग़ल काल की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को समझने के लिए “किसान, ज़मींदार और मुग़ल प्रशासन” विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अध्याय हमें बताता है कि किसान सिर्फ अन्नदाता ही नहीं, बल्कि उस युग की अर्थव्यवस्था की रीढ़ थे। ज़मींदारों और प्रशासन के साथ उनका संबंध ही उस समय की शक्ति-संरचना को तय करता था।
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