Class 12 History Notes Chapter 10 “उपनिवेशवाद और ग्रामीण समाज” में हम जानेंगे कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत के ग्रामीण ढांचे में किस प्रकार के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन आए। यह अध्याय विशेष रूप से भूमि व्यवस्था, किसान आंदोलनों और ब्रिटिश नीतियों के प्रभाव को समझने में मदद करता है।
अगर आप बिहार बोर्ड या एनसीईआरटी के छात्र हैं, तो Class 12 History Notes Chapter 10 आपकी परीक्षा तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस नोट्स में हमने शामिल किया है:
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स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी और महलवाड़ी व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन
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संथाल और नील विद्रोह के कारण व परिणाम
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किसानों की स्थिति, दस्तावेज़ी साक्ष्य और अंग्रेज़ी नीति का प्रभाव
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Objective Questions, Short & Long Answer Questions, सब कुछ एक जगह
Class 12 History Notes Chapter 10 को सरल भाषा और परीक्षा उपयोगी शैली में प्रस्तुत किया गया है, ताकि आप कम समय में अधिक समझ सकें और बेहतर स्कोर कर सकें।
Textbook | Bihar Board / NCERT |
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Class | Class 12 |
Subject | HISTORY |
Chapter | Chapter – 10 |
Chapter Name | उपनिवेशवाद और ग्रामीण समाज |
Category | Class 12 History Notes Chapter 10 |
Medium | Hindi |
उपनिवेशवाद और ग्रामीण समाज- Class 12 History Notes Chapter 10
✧ प्रस्तावना-Class 12 History Notes Chapter 10
जब अंग्रेजों ने भारत पर अधिकार किया, तो उन्होंने न सिर्फ शासन किया बल्कि भारत के ग्रामीण समाज और खेती की व्यवस्था को पूरी तरह बदल दिया।
ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने किसानों, ज़मींदारों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गहरे स्तर पर प्रभावित किया।
✧ 1. भूमि व्यवस्था में बदलाव
🔹 अंग्रेजों की नीति:
अंग्रेजों का मुख्य उद्देश्य था – राजस्व वसूली (Revenue Collection)
इसलिए उन्होंने भारत में तीन प्रमुख भूमि व्यवस्थाएँ लागू की:
भूमि व्यवस्था | क्षेत्र | मुख्य विशेषता |
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स्थाई बंदोबस्त | बंगाल, बिहार | ज़मींदार स्थायी रूप से कर देंगे (1793 ई.) |
रैयतवारी व्यवस्था | मद्रास, बॉम्बे | किसान सीधे सरकार को कर देंगे |
महलवारी व्यवस्था | उत्तर भारत | गाँव या महल द्वारा कर वसूली |
✅ स्थाई बंदोबस्त लॉर्ड कार्नवालिस ने लागू किया
इसमें ज़मींदारों को भूमि का मालिक बना दिया गया, जबकि किसान कृषि मजदूर बनकर रह गए।
✧ 2. बंगाल का देववर्ण वंश और दस्तावेज़ी साक्ष्य
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बंगाल में ज़मींदार वर्ग बहुत प्रभावशाली था।
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ब्रिटिश सरकार ने उनसे कर वसूली की ज़िम्मेदारी ली, लेकिन ज़मींदारों ने किसानों पर अत्याचार किए।
🔹 दस्तावेज़:
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जादुनाथ सरकार, रवींद्रनाथ ठाकुर, और ब्रिटिश अधिकारियों के पत्रों से इस बदलाव की पुष्टि होती है।
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इनसे पता चलता है कि किसान लगातार कर्ज़, सूखा, और जबरन वसूली से परेशान थे।
✧ 3. संथाल विद्रोह (1855-56)
🔹 कारण:
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ज़मींदारों, महाजनों और अंग्रेजों की नीतियों से आदिवासी (संथाल) समुदाय परेशान हो गया।
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उनकी भूमि छीनी जा रही थी, कर वसूली बढ़ रही थी और कर्ज़ का बोझ असहनीय हो गया था।
🔹 परिणाम:
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1855 में संथालों ने विद्रोह कर दिया।
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अंग्रेजों ने विद्रोह को दबा दिया लेकिन यह घटना जन प्रतिरोध और ग्रामीण असंतोष का प्रतीक बन गई।
✧ 4. किसान की स्थिति
पहलू | विवरण |
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कर का बोझ | तय समय पर कर देना अनिवार्य – चाहे फसल हो या न हो |
कर्ज़ में फँसना | किसान महाजनों से कर्ज़ लेता, ऊँचा ब्याज चुकाता |
भूमि की हानि | कर न चुका पाने पर ज़मीन नीलाम हो जाती |
शोषण | ज़मींदार, महाजन और अंग्रेज – तीनों ने शोषण किया |
✧ 5. नील की खेती और प्रतिरोध
🔹 क्या था नील आंदोलन?
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अंग्रेजों ने किसानों को मजबूर किया कि वे अपनी ज़मीन पर नील (इंडिगो) की खेती करें, जिससे कपड़े का रंग बनाया जा सके।
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नील किसानों के लिए लाभकारी नहीं थी – ज़मीन खराब होती, दाम कम मिलता।
🔹 1859-60 का नील विद्रोह:
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किसानों ने नील की खेती करने से इंकार कर दिया
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नील आयोग बनाया गया और धीरे-धीरे अंग्रेजों ने यह नीति वापस ली
✧ 6. दस्तावेज़ों और स्रोतों से मिली जानकारी
स्रोत | जानकारी |
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नील आयोग की रिपोर्ट | किसानों की हालत, शोषण के प्रमाण |
रवींद्रनाथ ठाकुर | ज़मींदारों और किसानों के संबंध पर रचनात्मक विचार |
ब्रिटिश अधिकारी | ग्रामीण समाज में बदलाव की रिपोर्टिंग |
फारसी/अंग्रेज़ी दस्तावेज़ | भूमि का रिकॉर्ड, कर वसूली के आँकड़े |
✧ 7. उपनिवेशवाद का प्रभाव
क्षेत्र | बदलाव |
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कृषि | पारंपरिक खेती से नकदी फसलों (नील, कपास) की ओर झुकाव |
समाज | किसान कर्ज़ में डूबे, ज़मींदारी सत्ता बढ़ी |
आर्थिक | भारत से धन निकासी, ग्रामीण गरीब हुए |
राजनीतिक | असंतोष, विद्रोह, प्रतिरोध बढ़ा |
भूमि व्यवस्थाओं का तुलनात्मक विश्लेषण
व्यवस्था | क्षेत्र | कर देने वाला | विशेषता |
---|---|---|---|
स्थाई बंदोबस्त | बंगाल, बिहार | ज़मींदार | स्थायी कर; ज़मींदार बने मालिक |
रैयतवारी व्यवस्था | मद्रास, बॉम्बे | किसान (रैयत) | किसान सीधे सरकार को कर देता |
महलवारी व्यवस्था | उत्तर भारत | गाँव या महल | सामूहिक रूप से कर वसूली की जाती थी |
Mind Map – Class 12 History Notes Chapter 10
🔹 भूमि व्यवस्था में बदलाव
→ स्थाई बंदोबस्त
→ रैयतवारी
→ महलवारी
🔹 किसान की स्थिति
→ कर्ज़ में डूबा
→ शोषण का शिकार
→ भूमि छिन जाना
🔹 विद्रोह
→ संथाल विद्रोह (1855-56)
→ नील विद्रोह (1859-60)
🔹 ब्रिटिश नीति
→ राजस्व वसूली प्राथमिक
→ नकदी फसलों की ओर झुकाव
→ दस्तावेज़ आधारित शासन
🔹 स्रोत
→ नील आयोग
→ साहित्यकार (ठाकुर)
→ अंग्रेज़ अधिकारी
Objective Questions with Answers -Class 12 History Chapter 10
1. ब्रिटिश शासन के दौरान स्थायी बंदोबस्त किसने लागू किया था?
A. लॉर्ड कर्जन
B. लॉर्ड डलहौज़ी
C. लॉर्ड वेलेजली
D. लॉर्ड कॉर्नवालिस
✅ उत्तर: D. लॉर्ड कॉर्नवालिस
2. स्थायी बंदोबस्त किस वर्ष लागू हुआ था?
A. 1757
B. 1765
C. 1793
D. 1813
✅ उत्तर: C. 1793
3. स्थायी बंदोबस्त के अंतर्गत राजस्व संग्रहण की ज़िम्मेदारी किसे दी गई थी?
A. किसान
B. ज़मींदार
C. महाजन
D. कलेक्टर
✅ उत्तर: B. ज़मींदार
4. उपनिवेशवाद का सबसे गहरा प्रभाव किस पर पड़ा?
A. व्यापारियों पर
B. किसानों पर
C. सैनिकों पर
D. शिक्षकों पर
✅ उत्तर: B. किसानों पर
5. ब्रिटिश काल में ‘रैयतवाड़ी व्यवस्था’ मुख्यतः कहाँ लागू की गई थी?
A. बंगाल
B. बिहार
C. मद्रास और बॉम्बे
D. उड़ीसा
✅ उत्तर: C. मद्रास और बॉम्बे
6. ‘महलवाड़ी व्यवस्था’ किस क्षेत्र में प्रचलित थी?
A. बंगाल
B. उत्तर भारत
C. महाराष्ट्र
D. तमिलनाडु
✅ उत्तर: B. उत्तर भारत
7. ब्रिटिश राज में ग्रामीण ऋणदाता को क्या कहा जाता था?
A. ज़मींदार
B. महाजन
C. साहूकार
D. दोनों B और C
✅ उत्तर: D. दोनों B और C
8. देहात के किसानों के शोषण का मुख्य कारण क्या था?
A. धार्मिक कर
B. जबरन मजदूरी
C. उच्च भूमि कर और सूदखोरी
D. बिचौलियों की भूमिका
✅ उत्तर: C. उच्च भूमि कर और सूदखोरी
9. ब्रिटिश सरकार ने किस उद्देश्य से भूमि कर प्रणाली लागू की थी?
A. किसानों को लाभ देने के लिए
B. सामाजिक सुधार के लिए
C. राजस्व संग्रह के लिए
D. शिक्षा के विकास के लिए
✅ उत्तर: C. राजस्व संग्रह के लिए
10. स्थायी बंदोबस्त में कर की दर किस पर आधारित थी?
A. कृषि उत्पादन
B. भूमि की उपज क्षमता
C. भूमि क्षेत्रफल
D. औद्योगिक उत्पादन
✅ उत्तर: B. भूमि की उपज क्षमता
11. दीघा में संथाल विद्रोह किस कारण हुआ था?
A. धार्मिक उत्पीड़न
B. ज़मीन छीनने की नीति
C. ब्रिटिश सैनिकों का अत्याचार
D. जल कर की वसूली
✅ उत्तर: B. ज़मीन छीनने की नीति
12. संथाल विद्रोह कब हुआ था?
A. 1845
B. 1855
C. 1865
D. 1875
✅ उत्तर: B. 1855
13. संथाल विद्रोह के प्रमुख नेता कौन थे?
A. सिद्धू और कान्हू
B. तिलका मांझी
C. बिरसा मुंडा
D. मंगल पांडे
✅ उत्तर: A. सिद्धू और कान्हू
14. ब्रिटिश भूमि नीतियों से किस समुदाय की आजीविका सबसे अधिक प्रभावित हुई?
A. पुजारी वर्ग
B. आदिवासी समुदाय
C. व्यापारी वर्ग
D. सैनिक वर्ग
✅ उत्तर: B. आदिवासी समुदाय
15. रैयत शब्द का अर्थ क्या होता है?
A. कर अधिकारी
B. सैनिक
C. कृषक या किसान
D. व्यापारी
✅ उत्तर: C. कृषक या किसान
16. जमींदारों के कर न चुकाने पर उनकी ज़मीन क्या की जाती थी?
A. उन्हें माफ़ कर दिया जाता था
B. सरकार ले लेती थी
C. नीलाम कर दी जाती थी
D. पुनः मूल्यांकन किया जाता था
✅ उत्तर: C. नीलाम कर दी जाती थी
17. भारत में ब्रिटिश भूमि नीतियों का दीर्घकालिक प्रभाव क्या था?
A. शांति और समृद्धि
B. कृषि का विकास
C. कृषकों का भारी कर्ज़
D. ग्रामीण समृद्धि
✅ उत्तर: C. कृषकों का भारी कर्ज़
18. निम्न में से किस व्यवस्था में सरकार सीधे किसानों से कर वसूलती थी?
A. स्थायी बंदोबस्त
B. रैयतवाड़ी व्यवस्था
C. महलवाड़ी व्यवस्था
D. कोई नहीं
✅ उत्तर: B. रैयतवाड़ी व्यवस्था
19. संथाल विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने किस क्षेत्र को ‘संथाल परगना’ घोषित किया?
A. बिहारB. बंगाल
C. झारखंड
D. उड़ीसा
✅ उत्तर: C. झारखंड
20. ब्रिटिश राज में ‘अस्थायी बंदोबस्त’ का क्या आशय था?
A. समय-समय पर कर दर बदलना
B. किसानों से रिश्वत लेना
C. ज़मीन छीनना
D. व्यापार में नियंत्रण
✅ उत्तर: A. समय-समय पर कर दर बदलना
Short Answer – Class 12 History Chapter 10
1. स्थायी बंदोबस्त क्या था?
उत्तर:
1793 में लागू यह व्यवस्था थी जिसमें ज़मींदारों को निश्चित भूमि कर देना होता था, चाहे फसल हो या न हो।
2. संथाल विद्रोह क्यों हुआ?
उत्तर:
संथालों ने ज़मींदारों, साहूकारों और अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ 1855 में विद्रोह किया।
3. जोटेदार कौन थे?
उत्तर:
जोटेदार ग्रामीण बंगाल के समृद्ध कृषक थे जिनके पास बड़ी ज़मीन होती थी और किसानों पर उनका प्रभाव था।
4. रैयतवाड़ी व्यवस्था में कर किससे वसूला जाता था?
उत्तर:
इस व्यवस्था में सरकार सीधे किसानों (रैयतों) से कर वसूलती थी।
5. डेक्कन के किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
उन्हें साहूकारों द्वारा कर्ज़, धोखाधड़ी और जमीन छीनने जैसी समस्याएं झेलनी पड़ीं।
Long Question Answer- Class 12 History Chapter 10
1. स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) क्या था? इसके प्रमुख प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
स्थायी बंदोबस्त 1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा बंगाल, बिहार और उड़ीसा में लागू किया गया था। इसके तहत ज़मींदारों को भूमि का स्थायी मालिक घोषित कर दिया गया और उनसे निश्चित राजस्व (कर) लिया गया।
प्रमुख प्रभाव:
- ज़मींदारों को कर समय पर न चुकाने पर ज़मीनें नीलाम हो गईं।
- किसान शोषण का शिकार हुए क्योंकि ज़मींदारों ने अधिक किराया वसूला।
- कृषि में सुधार नहीं हुआ क्योंकि ज़मींदार भूमि में निवेश नहीं करते थे।
- ग्रामीण समाज में वर्गीय असमानता बढ़ी।
2. संथाल विद्रोह के प्रमुख कारण और परिणामों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संथाल विद्रोह (1855-56) झारखंड और बिहार के आदिवासी संथाल समुदाय द्वारा किया गया था।
मुख्य कारण:
- ज़मींदारों और साहूकारों द्वारा अत्यधिक शोषण
- जंगल और ज़मीन पर अधिकार का छिनना
- ब्रिटिश प्रशासन की उपेक्षा
परिणाम:
- अंग्रेजों ने संथाल परगना नामक एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र बनाया।
- आदिवासियों के अधिकारों को आंशिक रूप से संरक्षित किया गया।
- विद्रोह ने अंग्रेजी सत्ता की सीमाओं को उजागर किया।
3. डेक्कन में किसानों की समस्याएँ और 1875 का डेक्कन दंगा क्या दर्शाता है?
उत्तर:
डेक्कन क्षेत्र के किसान भारी करों, कर्ज़ और साहूकारों के शोषण से परेशान थे।
मुख्य समस्याएँ:
- कर्ज़ चुकाने के बावजूद नया कर्ज़ थोपना
- धोखाधड़ी वाले दस्तावेज़
- ज़मीन की कुर्की और नीलामी
डेक्कन दंगा (1875):
- पूना और अहमदनगर में किसानों ने साहूकारों के घरों और दस्तावेज़ों को जलाया।
- इस दंगे से अंग्रेज सरकार ने किसानों की शिकायतों को गंभीरता से लेना शुरू किया।
- डेक्कन कृषि राहत कानून (Deccan Agriculturists Relief Act) बना।
4. उपनिवेशवाद के कारण ग्रामीण भारत में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन कैसे हुए?
उत्तर:
ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारत के ग्रामीण ढांचे को पूरी तरह बदल दिया।
आर्थिक परिवर्तन:
- परंपरागत कृषि से नकदी फसल की ओर झुकाव
- कर्ज़ में डूबे किसान
- ज़मींदार और साहूकारों की ताकत बढ़ी
सामाजिक परिवर्तन:
- वर्ग विभाजन गहरा हुआ
- किसानों की स्थिति और बदतर हुई
- सामाजिक असमानता और अशांति बढ़ी
5. जोटेदारों की भूमिका ग्रामीण समाज में क्यों महत्वपूर्ण थी?
उत्तर:
जोटेदार बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभावशाली कृषक थे।
महत्त्व:
- उनके पास बड़ी ज़मीन होती थी और वे किरायेदारों से कर वसूलते थे।
- वे स्थानीय साहूकारी और व्यापार में भी सक्रिय थे।
- कई बार वे ज़मींदारों की कर अदायगी रोकते थे, जिससे उनकी राजनीतिक ताकत भी थी।
- किसानों के साथ उनके संबंध उन्हें ग्रामीण समाज में एक निर्णायक शक्ति बनाते थे।
Conclusion: Class 12 History Notes Chapter 10
Class 12 History Notes Chapter 10 में “उपनिवेशवाद और ग्रामीण समाज” को गहराई से समझना जरूरी है क्योंकि यह चैप्टर सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि भारत के ग्रामीण ढांचे और किसानों की दशा को भी उजागर करता है।
इसमें दिए गए:
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भूमि व्यवस्था के बदलाव
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विद्रोहों की पृष्ठभूमि
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दस्तावेज़ी साक्ष्य और नीतियों का विश्लेषण
— ये सभी परीक्षा के लिए अनिवार्य हैं।
अगर आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ते हैं तो आप पूरे चैप्टर को बहुत कम समय में कवर कर सकते हैं। Short, Long और Objective Questions के जरिए रिवीजन और भी आसान हो जाता है।
Class 12 History Notes Chapter 10 को समझना अब कठिन नहीं रहा!