Class 12 History Notes Chapter 9 – दरबारी संस्कृति और मुग़ल दरबार में हम उस भव्य दुनिया की झलक पाते हैं जहाँ मुग़ल सम्राट न केवल शासक थे, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक भी थे। यह अध्याय छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि कैसे मुग़ल दरबार केवल राजनीतिक सत्ता का केंद्र नहीं था, बल्कि कला, साहित्य, स्थापत्य, संगीत और सामाजिक रीति-रिवाजों का भी एक सांस्कृतिक संगम था।
इस पोस्ट में हम Class 12 History Notes Chapter 9 के माध्यम से मुग़ल दरबार की संरचना, दरबारी संस्कृति, अकबर की नीतियाँ, मंसबदारी प्रणाली और विदेशी यात्रियों की दृष्टि से दरबार की विवेचना करेंगे — वह भी बेहद सरल भाषा और बिंदुवार तरीके से, जिससे परीक्षा की तैयारी आसान हो जाए।
Textbook | Bihar Board / NCERT |
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Class | Class 12 |
Subject | HISTORY |
Chapter | Chapter – 9 |
Chapter Name | दरबारी संस्कृति और मुग़ल दरबार |
Category | Class 12 History Notes Chapter 9 |
Medium | Hindi |
Class 12 History Notes Chapter 9 – दरबारी संस्कृति और मुग़ल दरबार
✧ प्रस्तावना – Class 12 History Notes Chapter 9
मुग़ल साम्राज्य सिर्फ एक राजनीतिक सत्ता ही नहीं था, बल्कि वह एक संस्कृतिक केंद्र भी था।
मुग़ल दरबार में शाही ठाठ-बाट, कला, संगीत, साहित्य, धर्म और परंपराएँ – सब कुछ एक खास अंदाज़ में होता था जिसे “दरबारी संस्कृति” कहते हैं।
यह दरबार शासक की ताक़त, वैभव और शासन प्रणाली का प्रतिनिधि चेहरा होता था।
विषय | विवरण |
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दरबार का अर्थ | मुग़ल शासकों का प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र |
सम्राट की स्थिति | ईश्वर का प्रतिनिधि (‘जिल्ले-इलाही’) |
दरबार की बैठकों का समय | दो बार – सुबह और शाम |
दरबार के प्रमुख लोग | सम्राट, अमीर, उलेमा, मनसबदार, कलाकार, दूत |
प्रणाम विधियाँ | सिजदा (झुकना), चहारसदी (चार बार झुकना) |
प्रमुख परंपराएँ | राजसी वस्त्र, सिंहासन, मुहर, झंडा, उपहार वितरण |
मनसबदारी प्रणाली | पदानुक्रम पर आधारित प्रशासनिक-सैन्य व्यवस्था, रैंक/वेतन तय करता था |
अकबर का योगदान | सुल्ह-ए-कुल नीति, इबादतख़ाना, धार्मिक सहिष्णुता |
सांस्कृतिक गतिविधियाँ | चित्रकला, संगीत, साहित्य, वास्तुकला को संरक्षण |
प्रमुख स्रोत | आइन-ए-अकबरी (अबुल फ़ज़ल), विदेशी यात्रियों का वर्णन |
प्रभाव | शासन की शक्ति, वैभव और संस्कृति का प्रदर्शन |
✧ 1. मुग़ल दरबार क्या था?
- मुग़ल शासकों का प्रशासनिक और सांस्कृतिक केंद्र
- यहाँ राजनीतिक निर्णय, न्याय, पुरस्कार-वितरण, और सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती थीं
- शाही दरबार को विशेष तरीके से सजाया जाता था – जैसे सिंहासन, झूमर, कालीन, पर्दे आदि
✧ दरबार में कौन-कौन होते थे?
- बादशाह (सम्राट) – सर्वोच्च सत्ता
- अमीर – उच्च पदाधिकारी, नवाब, ज़मींदार
- उलेमा – धार्मिक सलाहकार
- कलाकार, कवि, इतिहासकार, दूत, विदेशी मेहमान आदि
👉 दरबार का उद्देश्य सिर्फ सत्ता दिखाना नहीं था, बल्कि राजा और जनता, प्रशासन और समाज के बीच संबंध बनाए रखना भी था।
✧ 2. मुग़ल सम्राटों की भूमिका
🔹 बादशाह का दर्जा
- मुग़ल बादशाह को ईश्वर का प्रतिनिधि माना जाता था।
- उसे ‘जिल्ले-इलाही’ (ईश्वर की छाया) कहा जाता था।
- उसका दरबार और व्यवहार भी दैवीय और अनुशासित होता था।
🔹 दरबार की नियमितता
- दरबार हर रोज़ दो बार लगता था – सुबह और शाम
- इसमें प्रशासनिक कार्य, न्याय, आदेश-निर्देश, उपहार आदि का वितरण होता था।
✧ 3. दरबारी संस्कृति की विशेषताएँ
विशेषता | विवरण |
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आडंबर | बादशाह का वस्त्र, सिंहासन, मुद्रा, झंडा सब विशेष होते थे |
प्रवेश नियम | हर किसी को दरबार में आने की अनुमति नहीं होती थी, विशेष संकेत (चिह्न) होते थे |
उपचार विधि | सम्राट को ‘हुज़ूर’, ‘जहाँपनाह’ जैसे शब्दों से संबोधित किया जाता था |
प्रणाम पद्वति | सिजदा (घुटनों पर झुकना), चहारसदी (चार बार झुकना) जैसी प्रणाम परंपराएँ थीं |
✧ 4. अकबर का दरबार – सबसे प्रभावशाली उदाहरण
- अकबर ने सुल्ह-ए-कुल (सर्वधर्म समभाव) की नीति अपनाई
- दरबार में हिंदू, मुस्लिम, जैन, ईसाई, सिख – सभी धर्मों के विद्वानों को स्थान मिला
- उनके विचार-विमर्श के लिए इबादतख़ाना की स्थापना की गई
- फ़तेहपुर सीकरी दरबार इसका सुंदर उदाहरण है
✧ 5. इतिहासकारों और यात्रियों की दृष्टि से दरबार
🔸 आइन-ए-अकबरी (अबुल फज़ल)
- अकबर के दरबार की विस्तृत जानकारी देता है
- प्रशासन, नियम, दरबारी रैंक (मनसबदारी), राजस्व व्यवस्था आदि का विवरण
🔸 फ़्रांसीसी यात्री फ्रांसिस बर्नियर
- मुग़ल दरबार को शानदार लेकिन असमानता से भरा बताया
- उन्होंने देखा कि सत्ता केवल शाही परिवार और अमीरों के हाथ में केंद्रित थी
✧ 6. मनसबदारी व्यवस्था
- यह एक प्रशासनिक और सैन्य पदवी प्रणाली थी
- हर दरबारी या अधिकारी को एक “मनसब” दिया जाता था (उदाहरण: 5000 सवार)
- इससे उसकी रैंक, वेतन और ज़िम्मेदारी तय होती थी
- यह व्यवस्था अकबर ने शुरू की थी, जो औरंगज़ेब तक चली
✧ 7. प्रतीकात्मकता और शक्ति का प्रदर्शन
- दरबार के सिंहासन, झंडे, सोने-चांदी के छत्र, शाही मुहर आदि से बादशाह की शक्ति का प्रतीक दिखाया जाता था
- दरबार की भाषा (फारसी), शिष्टाचार, कपड़े और संगीत – सब कुछ शासन के वैभव को दर्शाता था
- दूतों और विदेशियों के लिए दरबार एक शक्ति और संस्कृति का मंच था
✧ 8. धार्मिक और सांस्कृतिक सहिष्णुता
- अकबर और जहाँगीर के दरबार में सभी धर्मों के लोगों को सम्मान मिला
- संस्कृत, फारसी, अरबी, तुर्की आदि भाषाओं के विद्वानों की उपस्थिति
- संगीत, चित्रकला, वास्तुकला को दरबार का संरक्षण मिला
Mind Map – Class 12 History Notes Chapter 9
✧ 1. मुग़ल दरबार
- प्रशासनिक + सांस्कृतिक केंद्र
- शाही व्यवहार, अमीर, सलाहकार, कलाकार शामिल
✧ 2. सम्राट की भूमिका
- ईश्वर का प्रतिनिधि
- दरबार दिन में 2 बार
- सिंहासन, सिजदा, आचार-विचार
✧ 3. दरबारी विशेषताएँ
- सुल्ह-ए-कुल नीति
- मनसबदारी प्रणाली
- संस्कृतियों का समावेश
✧ 4. प्रमुख स्रोत
Objective Questions: Class 12 History Notes Chapter 9
- मुगल दरबार की भाषा आमतौर पर कौन सी थी?
A. हिंदी
B. उर्दू
C. तुर्की
D. फ़ारसी
उत्तर: D. फ़ारसी - मुगल दरबार की सबसे-उच्च सेवा में शामिल व्यक्ति को क्या कहा जाता था?
A. ज़मींदार
B. जीव
C. मजलिस
D. नवाब
उत्तर: — (स्रोत उपलब्ध नहीं) - अकबर ने दरबार की भाषा को किस व्यवस्था के तहत अपनाया?
A. राजभाषा
B. न्याय व्यवस्था
C. खरीदी-फरोख्त
D. प्रशासनिक और सांस्कृतिक कारण
उत्तर: D. प्रशासनिक और सांस्कृतिक कारण - “दर्बारी वस्त्र” का उपयोग किसने किया करता था?
A. सैनिक
B. कवि
C. दरबारी
D. आम जनता
उत्तर: C. दरबारी - किस मुगल सम्राट ने दरबार में जनता से सीधे संवाद के लिए “झरोखा दर्शन” शुरू किया था?
A. बाबर
B. अकबर
C. औरंगज़ेब
D. शाहजहाँ
उत्तर: B. अकबर - झरोखा दर्शन का उद्देश्य क्या था?
A. कर वसूली
B. प्रदर्शन
C. राजसत्ता का जन-स्वीकृति के रूप में प्रदर्शन
D. धार्मिक अनुष्ठान
उत्तर: C. राजसत्ता का जन-स्वीकृति के रूप में प्रदर्शन - झरोखा दर्शन का अभ्यास किसने बंद किया था?
A. शाहजहाँ
B. औरंगज़ेब
C. जहांगीर
D. मुहम्मद शाह
उत्तर: B. औरंगज़ेब - मुगल दरबार में ‘ख़िताब’ (titles) देना क्यों महत्वपूर्ण था?
A. आभूषण
B. सम्मान और पदोन्नति के लिए
C. धर्म परिवर्तन
D. व्यापार संबंध
उत्तर: B. सम्मान और पदोन्नति के लिए - दरबार में ‘सिज़्दा’ का अर्थ क्या है?
A. सलाम
B. जमीन चूमना / पूर्ण सप्रसारण
C. दीवार सजाना
D. हँसी-मज़ाक
उत्तर: B. ज़मीन चूमना / पूर्ण सप्रसारण - मुगल दरबार की मुख्य पेंटिंग शैली क्या थी?
A. मिश्रलिखित
B. मुगल चित्रकला
C. डॉक्टर जीवन
D. पल्लवी कला
उत्तर: B. मुगल चित्रकला - अकबर के दरबार के नौ रत्नों (Navaratnas) में से एक थे—राहीम खान-ए-खाना—उनका शीर्षक क्या था?
A. कवि
B. सेनापति
C. मंत्री
D. राजकवि
उत्तर: A. कवि - मुगल साम्राज्य में ‘दौर’ या दरबार आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य क्या था?
A. प्रार्थना
B. न्यायिक सुनवाई
C. राज्य नीति निर्धारण और लोक संपर्क
D. खेल प्रदर्शन
उत्तर: C. राज्य नीति निर्धारण और लोक संपर्क (सामान्य इतिहास से) - मुगल दरबार में ‘इबादत ख़ाना’ का उपयोग किस लिए किया जाता था?
A. पूजा
B. ज्ञान और धर्म संवाद
C. भोजन वितरण
D. संगीत प्रदर्शन
उत्तर: B. ज्ञान और धर्म संवाद - मुगल दरबार में ‘किताबखाना’ का क्या उद्देश्य था?
A. पुस्तकालय
B. संगीत सभा
C. दस्तावेज़ नष्ट करना
D. बंदूक घर
उत्तर: A. पुस्तकालय / प्रकाशन केंद्र - मुगल अदालत में कवियों, कलाकारों और संगीतकारों की उपस्थिति क्यों महत्वपूर्ण थी?
A. मनोरंजन
B. सांस्कृतिक चमक और दरबार की प्रतिष्ठा
C. वित्तीय सहायता
D. कोई नहीं
उत्तर: B. सांस्कृतिक चमक और दरबार की प्रतिष्ठा (सामान्य ज्ञान) - मुगल दरबार में “सूल्ह-ए-कुल” का क्या लक्ष्य था?
A. कर वसूली
B. सर्वधर्म समन्वय और धार्मिक सहिष्णुता
C. सैन्य विस्तार
D. शिक्षा विकास
उत्तर: B. सर्वधर्म समन्वय और धार्मिक सहिष्णुता - मुगल दरबार में पुलिस अधिकारों का प्रमुख अधिकारी कौन था?
A. वज़ीर
B. कोतवाल
C. मंसाबदार
D. दीवान
उत्तर: B. कोतवाल - मुगल दरबार की चित्रलेखा (calligraphy) शैली मुख्य रूप से कौन सी थी?
A. देवनागरी
B. नास्तालीक
C. रोमन
D. ब्राह्मी
उत्तर: B. नास्तालीक - मुगल दरबार में किस सम्राट ने बाग में राज्याभिषेक कराया था?
A. बाबर
B. अकबर
C. जहांगीर
D. शाहजहाँ
उत्तर: B. अकबर - मुगल दरबार में ‘ख़िताब’ (title) देने का स्रोत कौन माना जाता था?
A. राज्य सभा
B. सम्राट स्वयं
C. सैनिक
D. आम जनता
उत्तर: B. सम्राट स्वयं
Short Question Answer-Class 12 History Notes Chapter 9
1. मुगल दरबार में ‘झरोखा दर्शन’ क्या था?
उत्तर:
झरोखा दर्शन एक परंपरा थी जिसमें सम्राट हर सुबह जनता को दर्शन देता था। इसका उद्देश्य राजा को जनता के निकट लाना और राजसत्ता की वैधता को स्थापित करना था।
2. ‘सुल्ह-ए-कुल’ नीति का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
सुल्ह-ए-कुल नीति का उद्देश्य सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता और धार्मिक समरसता को बढ़ावा देना था। यह नीति अकबर के शासन की महत्वपूर्ण विशेषता थी।
3. मुगल दरबार में फ़ारसी भाषा का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
फ़ारसी मुगल दरबार की आधिकारिक भाषा थी। सभी प्रशासनिक दस्तावेज, साहित्य और कला का प्रमुख माध्यम फ़ारसी ही था।
4. मुगल दरबार में ‘ख़िताब’ क्यों दिए जाते थे?
उत्तर:
ख़िताब (उपाधियाँ) सम्मान, पद और दरबारी रुतबे को दर्शाने के लिए दिए जाते थे। इससे दरबारियों की सामाजिक स्थिति और सत्ता में भूमिका तय होती थी।
5. मुगल चित्रकला की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
- यह चित्रकला फारसी और भारतीय शैलियों का मिश्रण थी।
- दरबारी जीवन, युद्ध, शिकार, और धार्मिक कथाओं को सुंदर चित्रों के माध्यम से दर्शाया जाता था।
Long Question Answer-Class 12 History Notes Chapter 9
1. मुगल दरबार की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुगल दरबार एक सुनियोजित, भव्य और अनुशासित संस्था थी। इसकी प्रमुख विशेषताएँ थीं:
- राजकीय अनुशासन: बादशाह के सामने आने के लिए विशेष नियम थे। दरबार में मौन, हाथ जोड़ना और सिर झुकाना जरूरी था।
- भव्यता और वैभव: शाही वस्त्र, सोने-चाँदी के सिंहासन और अलंकृत महल दरबार की भव्यता दिखाते थे।
- दरबारी पदवियाँ और सम्मान: व्यक्तियों को ख़िताब, मंसब और इनाम दिए जाते थे जिससे उनकी स्थिति और प्रतिष्ठा तय होती थी।
- कलात्मक प्रदर्शन: संगीत, चित्रकला, वास्तुकला, और साहित्य दरबार की प्रमुख गतिविधियाँ थीं।
- राजनीतिक निर्णयों का केंद्र: प्रशासन, न्याय और सैन्य मामलों के फैसले दरबार में ही होते थे।
2. ‘सुल्ह-ए-कुल’ नीति क्या थी और इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
सुल्ह-ए-कुल का अर्थ है – “सर्वजन के साथ शांति”। यह अकबर द्वारा अपनाई गई धार्मिक सहिष्णुता की नीति थी।
इस नीति के मुख्य बिंदु थे:
- धार्मिक समानता: हिंदू, मुसलमान, जैन, ईसाई सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान मिला।
- राजनैतिक स्थिरता: अलग-अलग धर्मों के लोगों की भागीदारी से सत्ता अधिक स्थिर हुई।
- नवीन धार्मिक संवाद: अकबर ने ‘इबादतखाना’ की स्थापना की जहाँ विभिन्न धर्मों के विद्वानों के बीच संवाद होता था।
- नवीन विश्वास – दीन-ए-इलाही: अकबर ने धार्मिक एकता के लिए यह नया विश्वास शुरू किया, हालाँकि यह सीमित रहा।
प्रभाव:
सुल्ह-ए-कुल नीति ने साम्राज्य को स्थायित्व और सांस्कृतिक विविधता को सम्मान प्रदान किया।
3. मुगल दरबार में मंसबदारी प्रणाली क्या थी?
उत्तर:
मंसबदारी प्रणाली मुग़ल प्रशासन का मूल आधार थी, जिसकी शुरुआत अकबर ने की थी।
- मंसब का अर्थ होता है – पद या रैंक।
- प्रत्येक दरबारी को एक रैंक दी जाती थी जिसे ज़ात और सवार में बाँटा गया:
- ज़ात: व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति और वेतन को दर्शाता था।
- सवार: वह संख्या जो यह बताती थी कि मंसबदार के पास कितने घुड़सवार सैनिक होने चाहिए।
विशेषताएँ:
- मंसबदारी जातीय या धार्मिक आधार पर नहीं दी जाती थी, बल्कि योग्यता के आधार पर थी।
- यह सैन्य और नागरिक प्रशासन दोनों में प्रयुक्त होती थी।
- समय के साथ मंसबदारी प्रणाली भ्रष्ट भी हुई लेकिन यह शासन की रीढ़ बनी रही।
4. मुग़ल काल की दरबारी संस्कृति में कला और साहित्य का क्या योगदान था?
उत्तर:
मुग़ल दरबार संस्कृति में कला और साहित्य का महत्वपूर्ण स्थान था:
- चित्रकला: अकबर के काल में ‘मुग़ल चित्रकला’ ने नई ऊँचाई छुई। ‘अकबरनामा’, ‘हमज़ानामा’ जैसे ग्रंथों को चित्रों से सजाया गया।
- संगीत: तानसेन जैसे महान संगीतज्ञों ने दरबार की शोभा बढ़ाई। विभिन्न रागों की रचना हुई।
- साहित्य: फारसी भाषा में इतिहास लेखन, कविता और गद्य-लेखन खूब हुआ। अबुल फज़ल द्वारा लिखा गया ‘आइन-ए-अकबरी’ इसका उदाहरण है।
- स्थापत्य कला: लाल किला, आगरा किला, फतेहपुर सीकरी जैसे स्थापत्य नमूने दरबारी संस्कृति के प्रमाण हैं।
निष्कर्ष:
मुग़ल दरबार संस्कृति ने भारतीय कला, संगीत, साहित्य को संरक्षित और विकसित किया।
5. मुग़ल शासकों ने दरबार के माध्यम से सत्ता की वैधता कैसे स्थापित की?
उत्तर:
मुग़ल शासकों ने अपने राज को धार्मिक, सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक साधनों के माध्यम से वैधता दी।
- दिव्यता का प्रदर्शन: सम्राट को ईश्वर का प्रतिनिधि माना गया। उनकी उपस्थिति को ‘रूहानी’ माना जाता था।
- शाही प्रतीक: तख्त, छत्र, और तैमूरी वंश का झंडा सत्ता की वैधता को दिखाते थे।
- झरोखा दर्शन: जनता को प्रतिदिन दर्शन देने की परंपरा राजा की लोकप्रियता और प्रभुत्व को दर्शाती थी।
- दरबारी रीति-रिवाज: सलाम, आदाब, झुकना जैसी परंपराएँ राजा के प्रति सम्मान और अधीनता को दर्शाती थीं।
- इतिहास लेखन: ‘अकबरनामा’, ‘शाहनामा’ जैसे ग्रंथों में सम्राटों को महान और धर्मनिष्ठ दिखाया गया।
निष्कर्ष:
इन सभी माध्यमों से मुग़ल सम्राटों ने न केवल राजनीतिक सत्ता को स्थापित किया, बल्कि उसे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से वैध भी बनाया।
Conclusion – Class 12 History Notes Chapter 9
Class 12 History Notes Chapter 9 छात्रों को केवल इतिहास नहीं सिखाता, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे सत्ता, संस्कृति और समाज आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। मुग़ल दरबार एक ऐसा मंच था जहाँ परंपरा और नवाचार साथ-साथ चलते थे। अगर आप Class 12 History Notes Chapter 9 को ध्यान से पढ़ते हैं, तो न सिर्फ आपका पाठ्यक्रम मजबूत होगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत की गहराई भी समझ में आएगी।